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लोमष ऋषि आश्रम का प्राकृतिक वातावरण श्रद्धालुओं के मन को कर रहा मोहित

गरियाबंद। राजिम कुंभ कल्प मेला में घूमने प्रतिदिन दूर-दूर से मेलार्थी पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु इस बार पहले से अधिक आकर्षक धर्म-अध्यात्म और...

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गरियाबंद। राजिम कुंभ कल्प मेला में घूमने प्रतिदिन दूर-दूर से मेलार्थी पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु इस बार पहले से अधिक आकर्षक धर्म-अध्यात्म और संस्कृति की झलक देख कर गदगद हो रहे है। नवीन मेला मैदान से लेकर पुराने मेला स्थल तक के विस्तृत परिसर में मेला की भव्यता देखते ही बन रही है। राजिम मेला का आनंद लेने के बाद शाम 7 बजते ही महानदी आरती में शामिल होने अपनी जगह सुनिश्चित कर लेते हैं।

उड़ीसा से पहुंचे सूरज साव और बस्तर से आए अशोक खापरडे ने बताया कि मेला घूमने के बाद लोमष ऋषि आश्रम में आकर उन्हें मानसिक शांति मिल रही है। यहां का प्राकृतिक वातावरण मन को मोहित कर रहा। चारों तरफ घूमने के बाद यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। रविवार को नागा साधुओं ने भी इसी लोमश ऋषि आश्रम में अपने ईष्ट दत्तात्रेय भगवान की पूजा-आरती कर अपनी धर्मध्वजा की स्थापना कर इष्ट देवताओं का आह्वान किया था। श्रद्धालु भी इन नागा साधुओं के दर्शन के लिए यहाँ पहुंच रहे है।  

कहा जाता है कि भगवान श्री राम वनगमन के दौरान कुछ दिनों तक राजिम स्थित लोमष ऋषि के आश्रम में ठहरे थे। आज भी धमतरी क्षेत्र में कुलेश्वरनाथ मंदिर के पास लोमश ऋषि का आश्रम विद्यमान है। यहां उनकी एक आदमकद प्रतिमा स्थापित हैं जिनकी नित्य पूजा अर्चना वहां के पुजारी किया करते हैं। यहां पर बेल के अत्यधिक पेड़ होने के कारण इसे बेलाही घाट भी कहा जाता हैं।  प्राकृतिक दृष्टि से भी यह बहुत मनोहारी है यहां आने से एक प्रकार की शांति का अनुभव होता है। आश्रम के प्रवेश द्वार ऐसे बने है जैसे वे हर दर्शनार्थियो के स्वागत के लिए खड़े है। उनके दोनों किनारों में बने बाग-बगीचे विभिन्न रंगो में खिले फूल मन को अति प्रसन्न करते है। राजिम कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था, श्रद्धा और आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। यहां आकर मेलार्थी घंटो समय व्यतीत कर रहे है।











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