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शहरों में कम हुई कांग्रेस की चमक, BJP की जीत में आया उछाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनाव ने प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह से बदल कर रख दी है। चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि श...

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनाव ने प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह से बदल कर रख दी है। चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस की चमक फीकी पड़ गई है। वहीं, भाजपा की जीत में जबरदस्त उछाल आया है। स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में आश्चर्यजनक रूप से कमी देखी गई है।

पार्षद चुनाव में कांग्रेस को 31.25 फीसदी वोट ही हासिल हो सकते हैं। जबकि भाजपा को 56.04 फीसदी वोट मिले हैं। यानी एक तरह से कांग्रेस की तुलना में भाजपा को पार्षद चुनाव में करीब दोगुने वोट मिले हैं। वर्ष 2019 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का वर्चस्व नजर आया था। कांग्रेस ने 1283 और भाजपा ने 1139 पार्षदों का चुनाव जीता था। इस बार परिस्थति पूरी तरह से उलट दिखाई दे रही है।

नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। इस बार पार्षद के 3200 पदों के लिए चुनाव हुआ था। इसमें भाजपा ने 1868 और कांग्रेस ने 952 पदों पर ही ही चुनाव जीत सकी है। इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है, क्योंकि इस बार आम आदमी और बसपा ने अपनी बड़ी एंट्री की है। इसका नफा-नुकसान आने वाले समय में पता चलेगा।

महापौर चुनाव में शुरुआत से पिछड़े

इस बार महापौर पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस शुरू से पिछड़ी नजर आईं। धमतरी में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया है। इसके बाद कांग्रेस ने किसी दूसरे प्रत्याशी का समर्थन भी नहीं किया। इस वजह से यहां महापौर पद के लिए कांग्रेस को वोटों का सीधा नुकसान उठाना पड़ा। प्रदेश के 10 नगर निगमों में महापौर पद के लिए कांग्रेस को 33.58 फीसदी ही वोट मिले। जबकि भाजपा के खाते में 46.62 फीसदी वोट पड़े। खास बात यह है कि महापौर की तुलना में पार्षद चुनाव के लिए कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले हैं। इसके बाद भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव, फिर लोकसभा और वर्तमान में नगरीय निकाय के चुनाव हुए हैं। इन तीनों चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान रायपुर जिले में हुआ है। जिले में कांग्रेस एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी थी। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को शर्मनाक हार मिली है। भाजपा के महापौर प्रत्याशी ने सबसे बड़ी जीत हासिल की है। इसके अलावा 70 में से 60 वार्ड में भाजपा का कब्जा है।





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