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कलिंगा विश्वविद्यालय के सीआईएफ द्वारा अत्याधुनिक यंत्रों पर प्रशिक्षण के साथ विभिन्न कार्यशालाओं का होगा आयोजन

रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय,मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) के द्वारा B...

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रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय,मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) के द्वारा B + मान्यता प्रदान की गयी है। यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैंकिंग 2021 में शीर्ष 151-200 विश्वविद्यालयों में एक है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान पर केंद्रित कलिंगा विश्वविद्यालय में नये शोध और नयी खोज को विकसित करने के लिए सर्वसुविधायुक्त केंद्रीय इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा (सीआईएफ) की स्थापना की गयी है।

सीआईएफ छात्रों, शिक्षकों, बाहरी शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों को उच्च-स्तरीय शोध उपकरणों को उपलब्ध कराके एक शोध वातावरण बनाने पर प्रयास करता है।इसी तारतम्य में विश्वविद्यालय में और समस्त क्षेत्रों में अनुसंधान संस्कृति के कार्यान्वयन और प्रचार को सुनिश्चित करने के लिए कलिंगा विश्वविद्यालय के सीआईएफ विभाग के द्वारा 20 दिसंबर 2021 से 9 अप्रैल 2022 तक विकसित प्रशिक्षण मॉड्यूल और विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।जिसमें विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के द्वारा विभिन्न अत्यधुनिक परिष्कृत शोध उपकरणों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

विदित हो कि कलिंग विश्वविद्यालय की सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फैसिलिटी (सीआईएफ) का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए नवीनतम और सबसे उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों के साथ एक केंद्रीय सुविधा प्रदान करना है।जो अपने उपयोगकर्ताओं को वैश्विक विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है।जिससे शोधकर्ता अपने उच्च प्रभावी शोध निष्कर्षों को देश-विदेश के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल में भेजकर प्रकाशित करते रहे हैं।सीआईएफ का उपयोग विश्वविद्यालय के शैक्षणिक / अनुसंधान विभागों द्वारा किया जाता है। सीआईएफ की सुविधाओं का व्यापक रूप से स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट छात्रों और विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों के साथ पूरे भारत के बाहरी संगठनों द्वारा भी उपयोग किया जाता रहा है। यह सुविधा कम से कम प्रभार में बाहरी संगठनों और मुख्य रूप से देश के शैक्षणिक संस्थानों तक प्रदान की जाती है।



कलिंगा विश्वविद्यालय का सीआईएफ संकाय, छात्र अनुसंधान और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने के लिए परिष्कृत उपकरणों और तकनीकी विशेषज्ञता की पूरी जानकारी की पेशकश प्रदान करता रहा है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य उन्नत इंस्ट्रूमेंटेशन के समर्थन में भविष्य में होने वाले आधुनिक अनुसंधान, बुनियादी ढांचे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की प्रदान करना है।कलिंगा यूनिवर्सिटी के सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फैसिलिटी (सीआईएफ) में एक्स-रे डिफ्रेक्टोमीटर, स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एसईएम), हाई-परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी), थर्मल साइक्लर (पीसीआर), हॉरिजॉन्टल मिनी , जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस यूनिट, यूवी ट्रांसिल्यूमिनेटर, एफटी-आईआर स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, बायो-केमिस्ट्री एनालाइजर, टच स्क्रीन विस्कोमीटर, डिजिटल विस्कोमीटर, यूवी-विजिबल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, टर्बिडिटी मीटर, डिजिटल फ्लेम फोटोमीटर और रोटरी टैबलेट प्रेस जैसे कई परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण हैं।जिसे विश्वविद्यालय के अनुसंधान विभाग के अधिष्ठाता डॉ बैजू जॉन के सक्षम नेतृत्व में प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के समर्पित और योग्य समूह द्वारा के द्वारा संचालित और रखरखाव किया जाता है।

कलिंगा विश्वविद्यालय के सीआईएफ ने 20 से 21 दिसंबर 2021 तक स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एसईएम) के माध्यम से व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। 7 से 8 जनवरी 2022 तक एक्स-रे डिफेक्टोमीटर (एक्सआरडी), 28 से 29 जनवरी 2022 तक आणविक तकनीक और उच्च प्रदर्शन तरल पर, 12 फरवरी 2022 को क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी), 26 फरवरी 2022 को

माइक्रोस्कोपी, 5 मार्च 2022 को एफटी-आईआर स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, 12 मार्च 2022 को उन्नत इंस्ट्रुमेंटेशन (डिजिटल विस्कोमीटर), 17 मार्च 2022 को जल विश्लेषण, 26 मार्च 2022 को प्रोटीन विश्लेषण और जैव रसायन और 9 अप्रैल 2022 को विश्लेषक पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।

कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.संदीप गांधी ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इस तरह से बनाया गया है कि उक्त कार्यशाला में प्रतिभागियों को विशेषज्ञ प्राध्यापकों के द्वारा विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जिसमें शिक्षाविद, वैज्ञानिक अधिकारी, स्नातकोत्तर और पी.एच.डी. छात्रों के अतिरिक्त और कोई भी शोधार्थी, जो फोरेंसिक साइंस, बायोमेडिकल रिसर्च, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री,फूड इंडस्ट्री, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, एनालिटिकल लेबोरेटरीज, क्लिनिकल साइंस, पॉलिमर एंड प्लास्टिक इंडस्ट्री, क्वालिटी कंट्रोल, नैनोसाइंस, वायर इंडस्ट्रीज, एलिमेंट एनालिसिस आदि जैसे विभिन्न उद्योगों से जुड़ा है,वह इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता निभा सकता है।इस कार्यशाला में व्यावहारिक प्रशिक्षण में भाग लेने के बाद प्रतिभागी तकनीकी जानकारी को समझने में सक्षम होंगे वह अत्यधुनिक उपकरणों के उपयोग से व्यावहारिक अनुभव के साथ-साथ सर्वोत्कृष्ट ज्ञान प्राप्ति में सफल होंगे और अपने कार्यक्षेत्र में अपने उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए विभिन्न अनुप्रयोग और विभिन्न प्रकार के उद्योग में काम करने के लिए सफल होंगे।डॉ. गांधी ने ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस कार्यशाला में सम्मिलित होने की अपील की है।

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