नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरूआत में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर बरकरार रखने के ल...
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरूआत में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर बरकरार रखने के लिए मतदान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक गैर-व्यवधानकारी तरीके से खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर वापस लाने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली। सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। खुदरा मुद्रास्फीति मई और जून में छह प्रतिशत से ऊपर थी, हालांकि यह सितंबर में घटकर 4.35 प्रतिशत पर आ गई। मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 से 8 अक्टूबर के बीच हुई थी।
बैठक के ब्योरे के मुताबिक दास ने कहा कि अगस्त 2021 की बैठक में समिति को लगातार दूसरे महीने सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इनफ्लेशन) के संतोषजनक सीमा से अधिक रहने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त के दौरान मुद्रास्फीति में नरमी आने से एमपीसी का दृष्टिकोण और मौद्रिक नीति का रुख सही साबित हुआ।
खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी के कारण इस साल जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति में तुलनात्मक रूप से नरमी रही। दास ने कहा कि यदि बेमौसम बारिश नहीं होती है, तो रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन, पर्याप्त खाद्य भंडार, आपूर्ति-पक्ष उपायों और अनुकूल आधार प्रभावों के चलते खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते परिवहन लागत को लेकर जोखिम बना हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली। सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। खुदरा मुद्रास्फीति मई और जून में छह प्रतिशत से ऊपर थी, हालांकि यह सितंबर में घटकर 4.35 प्रतिशत पर आ गई। मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 से 8 अक्टूबर के बीच हुई थी।
बैठक के ब्योरे के मुताबिक दास ने कहा कि अगस्त 2021 की बैठक में समिति को लगातार दूसरे महीने सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इनफ्लेशन) के संतोषजनक सीमा से अधिक रहने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त के दौरान मुद्रास्फीति में नरमी आने से एमपीसी का दृष्टिकोण और मौद्रिक नीति का रुख सही साबित हुआ।
खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी के कारण इस साल जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति में तुलनात्मक रूप से नरमी रही। दास ने कहा कि यदि बेमौसम बारिश नहीं होती है, तो रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन, पर्याप्त खाद्य भंडार, आपूर्ति-पक्ष उपायों और अनुकूल आधार प्रभावों के चलते खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते परिवहन लागत को लेकर जोखिम बना हुआ है।
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