नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हालात भयावह हो गए हैं. स्थिति ऐसी है कि लोग देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. हर जगह आतंक ...
नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हालात भयावह हो गए हैं. स्थिति ऐसी है कि लोग देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. हर जगह आतंक के खौफ का मंजर पसरा हुआ है. इस बीच, खबर आ रही है कि ऑस्ट्रेलियाई सेना के लिए काम करने वाले एक पूर्व अफगान ट्रांसलेटर (दुभाषिया) पर काबुल एयरपोर्ट पर गोली चला दी गई. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की खबरों के मुताबिक, ट्रांसलेटर को पैर में गोली मारी गई है.
‘द गार्डियन ऑस्ट्रेलिया’ की खबर में कहा गया है कि अफगान ट्रांसलेटर ऑस्ट्रेलियाई निकासी मिशन के तहत अफगानिस्तान से बाहर जाने के लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंचा था. एयरपोर्ट के बाहर एक तालिबान चौकी को पार करने की कोशिश के दौरान इंटरप्रेटर पर गोली चला दी गई.
काबुल से बाहर जाने के लिए ऑस्ट्रेलिया की पहली निकासी उड़ान के आसपास से कई अराजक तस्वीरें और वीडियोज सामने आए हैं. गार्जियन को दिए गए ऑडियो मैसेजेस में काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अंदर तैनात ऑस्ट्रेलियाई कर्मियों और उनके ट्रांसलेटर्स की आवाजें शामिल हैं, जिसमें सुना जा सकता है कि वीजा धारकों को खतरनाक क्षेत्र में नहीं आने की चेतावनी दी जा रही है.
अफगान ट्रांसलेटर को गोली मारे जाने के बाद तुंरत इलाज के लिए अस्पताल लाया गया. इससे जुड़ी एक तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें डॉक्टर ट्रांसलेटर का इलाज करते दिख रहे हैं. फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइटों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने वाले RAAF C-130 हरक्यूलिस को ट्रैक किया. क्योंकि यह फ्लाइट ऑस्ट्रेलियाई, न्यूजीलैंड के लोगों और उनके परिवारों, स्थानीय कर्मचारियों को बचाने के लिए एक मिशन को अंजाम दे रहा था.
कैनबरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बताया कि 26 लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया है, जिनमें ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, कई अफगान वीजा धारक और एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के लिए काम करने वाले एक अन्य विदेशी नागरिक शामिल थे. C-130 विमान में 128 लोग सवार हो सकते हैं. इससे पहले, एक अमेरिकी सेना सी-17 ने काबुल से उड़ान भरी थी, जिसमें 640 से ज्यादा लोग सवार हुए थे.
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