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डायनासोर के मल से वैज्ञानिकों को मिला दुर्लभ ‘खजाना’

  नई दिल्ली । डायनासोर (Dinosaur) के जीवाश्म में मिलने वाले मल को लेकर वैज्ञानिक बिरादरी ज्यादा उत्साहित नहीं रहती है. लेकिन एक नमूने पर हुई...

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नई दिल्ली । डायनासोर (Dinosaur) के जीवाश्म में मिलने वाले मल को लेकर वैज्ञानिक बिरादरी ज्यादा उत्साहित नहीं रहती है. लेकिन एक नमूने पर हुई नई रिसर्च ने एक छिपे हुए ‘खजाने’ का पता लगाया है. ये खजाना 23 करोड़ साल पुराना है. दरअसल, वैज्ञानिकों को डायनासोर के मल में अब तक अनदेखी रही बीटल प्रजातियों (Beetle species) को खोजा है. करंट बायोलॉजी जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, ट्राइमायक्सा कोप्रोलिथिका (Triamyxa coprolithica) एक छोटा सा कीड़ा है, जो पहली बार किसी जीवाश्म मल में मिला है.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कीड़े के बारे में एक एक्स-रे बीम के जरिए की गई स्कैनिंग टेक्निक से पता चला है. मल में खोजे गए बीटल के अलावा, इसका वैज्ञानिक नाम ट्राइसिक पीरियड को भी दिखाता है. ये पीरियड 25 करोड़ से 21 करोड़ साल पहले रहा था. उस समय ये बीटल शैवाल को खाता था. यूनिवर्सिटी ऑफ इनिनोइस में अर्बाना-शैंपेन में PRI सेंटर फॉर पेलियोन्टोलॉजी के डायरेक्टर और मुख्य क्यूरेटर सैम हेड्स ने कहा, इस तरह के तीन आयामों में संरक्षित इस प्रकार के कीड़े का ट्राइसिक काल में होने की जानकारी अनसुनी है. इसलिए यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है.

इस स्टडी के लेखक, पेलियोन्टोलॉजी और स्वीडन में उपसाला यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरल फेलो मार्टिन क्वार्नस्ट्रोम ने कहा, मैं वास्तव में यह देखकर हैरान था कि बीटल कितनी अच्छी तरह संरक्षित थे. उन्हें स्क्रीन पर मॉडल किया गया तो ऐसा लगा कि वे आपको देख रहे हैं. उन्होंने कहा, यह मल की कैल्शियम फॉस्फेटिक संरचना द्वारा संरक्षित रहा होगा. यह एक साथ बैक्टीरिया द्वारा शुरुआती खनिजकरण के साथ इन नाजुक जीवाश्मों को संरक्षित करने में मदद करता है. बता दें कि कैल्शियम फॉस्फेट हड्डियों के निर्माण और रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण होता है.

वर्तमान स्टडी के लेखकों द्वारा पूर्व शोध में विश्लेषण किए गए जीवाश्म के आकार और अन्य विशेषताओं के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया कि जिस डायनासोर ने इस बीटल को खाया होगा. उसका नाम सिलेसौरस ओपोलेंसिस (Silesaurus opolensis) है. इस छोटे आकार वाले डायनासोर की लंबाई दो मीटर रही होगी और इसका वजन 15 किलोग्राम था. ये पोलैंड में 23 करोड़ साल पहले रहा करता था. सिलेसौरस के पास चोंच हुआ करती थी, जिसकी मदद से वह जमीन के भीतर मौजूद कीड़ों को खाता था. ये बिल्कुल आज के पक्षियों की तरह ही है.


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