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डॉक्टरों ने मांगी सुरक्षा : PM को लिखे पत्र आईएमए ने राज्यपाल उइके को सौंपा

  18 को विरोध दिवस मनाएंगे डॉक्टर रायपुर । कोरोना काल में कई शारीरिक-वैचारिक हमलों से जूझ रहे डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की छत...

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18 को विरोध दिवस मनाएंगे डॉक्टर

रायपुर । कोरोना काल में कई शारीरिक-वैचारिक हमलों से जूझ रहे डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की छत्तीसगढ़ इकाई ने आज राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र सौंपा। इसमें डॉक्टरों ने कोरोना काल के दौरान की गई सेवाओं और उन पर हुए हमलों का जिक्र किया है। डॉक्टरों ने लिखा है, “एक अस्वस्थ समाज एक अस्वस्थ देश का निर्माण करता है। यह भविष्य के लिए घातक है।”

प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में डॉक्टरों ने कहा, "कोरोना महामारी के दौरान अपने सक्रिय योगदान के बावजूद हम सभी चिकित्सक बहुत दुखी और पीड़ा ग्रस्त हैं। पिछले दिनों देश में बहुत से चिकित्सकों तथा चिकित्सा कर्मियों के ऊपर हिंसक आक्रमण किए गए। बहुतों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। बहुत से युवा चिकित्सकों, महिला चिकित्सकों, यहां तक की बहुत से पुराने अनुभवी चिकित्सकों के ऊपर भी आक्रमण हुए। इस तरह का व्यवहार वास्तव में अत्यधिक मानसिक आघात पहुंचा रहा है। सभी कुछ भूलकर समर्पित भाव से कार्य करते हुए बहुत से लोगों की जान बचाने के बावजूद इन हिंसक आक्रमणों में कई युवा चिकित्सकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसका असर अन्य चिकित्सकों और उनके परिवारों पर भी हुआ। बहुत से परिवारों में चिकित्सक पति पत्नी दोनों का देहांत हो गया और उनके बच्चे अनाथ हो गए। संभव है कि भविष्य में जान जोखिम में डालकर काम करने की बजाय युवा, चिकित्सा क्षेत्र में आना ही ना चाहें और समाज में योग्य चिकित्सकों की कमी हो जाए। असुरक्षित वातावरण में कार्य करने का एक परिणाम यह भी हो सकता है कि, चिकित्सक आपातकालीन स्थितियों में मरीजों का इलाज करने से स्वयं को अलग रखें। इसका खामियाजा अंततः समाज को ही भुगतना पड़ेगा। एक अस्वस्थ समाज एक अस्वस्थ देश का निर्माण करता है, जो भविष्य के लिए बहुत घातक है।" राज्यपाल से मिलने जाने वालों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. महेश सिन्हा, हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉ. विकास अग्रवाल, आइएमए की सचिव डॉ. आशा जैन और हास्पिटल बोर्ड रायपुर के अध्यक्ष डॉ. अनिल जैन शामिल थे।

अपने संस्थापकों के भी नाम गिनाए

पत्र की शुरुआत में ही आइएमए ने अपने संस्थापकों के नाम गिनाए हैं। लिखा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत में आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कार्य कर रहे चिकित्सकों का देश का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी स्थापना सन् 1928 में भारतीय चिकित्सकों डॉ. के.एस. रे, सर नीलरतन सरकार, डॉ. बी.सी. रॉय, डॉ. एम.ए. अंसारी, कर्नल भोलानाथ, मेजर एम.जी. नायडू, डॉ. बी.एन. व्यास, डॉ. डिसिल्वा, डॉ. एन.ए. घोष, डॉ. डी.ए. चक्रवर्ती, डॉ. विश्वनाथन और कैप्टन बी.वी. मुखर्जी जैसे लोगों ने की थी। इन लोगों ने स्वाधीनता की लड़ाई में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। बाबा रामदेव के साथ एलोपैथ-बनाम आयुर्वेद की लड़ाई में दक्षिणपंथी संगठनों ने आईएमए को विदेशी संस्थान बताकर देश के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया था। इसे उन आरोपों का जवाब माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री के सामने तीन मांग रखी

  • द हेल्थ सर्विसेज पर्सनल एंड क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट (प्रोहिबिशन ऑफ वॉयलेंस एंड डैमेज टू प्रॉपर्टी) बिल- 2019 को लागू किया जाए। इसमें ड्यूटी के दौरान डॉक्टर तथा अन्य चिकित्सा कर्मियों पर आक्रमण करने वाले व्यक्ति को 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान था। मंत्रिपरिषद ने इसे निरस्त कर दिया था। ऐसे सभी प्रकरणों की जांच एक निश्चित समय सीमा के अंदर पूरी कर इस अपराध में शामिल लोगों को जल्द से जल्द सजा दी जाए।
  • जिन चिकित्सा कर्मियों ने कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान गवाई है, उन्हें कोरोना शहीदों का दर्जा दिया जाए तथा उनकी शहादत को उचित सम्मान दिया जाए। उनके परिवारों को सरकार की ओर से उचित सहायता दी जाए।
  • चिकित्सा संस्थानों को संरक्षित क्षेत्र (Protected Zone) घोषित किया जाए तथा वहां उचित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाए।


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. महेश सिन्हा ने बताया, संगठन 18 जून को राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाने जा रहा है। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों पर विचार कर कार्रवाई करेगी।


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