नई दिल्ली । चीन ने फिर ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश की है। मंगलवार को चीनी एयरफोर्स के 28 फाइटर जेट्स ने ताइवान के एयरस्पेस में उड़ान भरी...
नई दिल्ली । चीन ने फिर ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश की है। मंगलवार को चीनी एयरफोर्स के 28 फाइटर जेट्स ने ताइवान के एयरस्पेस में उड़ान भरी। इसके पहले 12 अप्रैल को चीन के 25 फाइटर जेट्स ताइवान के एयरस्पेस में घुसे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को चीन ने ताइवान के एयरस्पेस में सबसे बड़ी घुसपैठ की। दूसरी तरफ, ताइवान की एयरफोर्स भी अब जवाबी कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है। इसमें उसे अमेरिका भी सहयोग कर रहा है। चीन हमेशा से दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है, वहीं ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। दोनों देशों के बीच विवाद का यही प्रमुख कारण है।
मंगलवार दोपहर चीनी एयरफोर्स के 28 फाइटर जेट्स एक साथ ताइवान के एयरस्पेस में घुसे। यहां एयरक्राफ्ट कुछ देर वहां चक्कर लगाते रहे। इन एयरक्राफ्ट्स में कुछ पहली बार इस तरह के मिशन में शामिल हुए। इनमें बॉम्बर्स, एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट और अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट भी शामिल थे। इन विमानों ने हवा में कुछ देर फाइटिंग ड्रिल भी दी।
बीजिंग की इस हरकत पर ताइवान की एयरफोर्स भी अलर्ट मोड पर आ गई है। उसके एक अफसर ने कहा- चीन को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। हम इस तरह की हरकतों का जवाब देना जानते हैं। अगर ताइवान की संप्रभुता और सम्मान पर कोई आंच आती है तो उसका माकूल जवाब दिया जाएगा।
चीन की सेना या सरकार ने अब तक इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है। इसके पहले 12 अप्रैल को चीन के 25 फाइटर जेट्स ताइवान के एयरस्पेस में घुसे थे और जब ताइवान के एफ-16 जहाजों ने इनका पीछा किया तो ये भाग खड़े हुए। चीन ने तब कहा था कि उसने ताइवान की सीमा में घुसने की कोशिश नहीं कि और एयरक्राफ्ट रूटीन एक्सरसाइज पर थे।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि अगर ताइवान के सामने कोई दिक्कत पेश आती है तो अमेरिका उसकी हर मुमकिन मदद के लिए तैयार है। इसके अलावा अमेरिकी सांसद भी पिछले दिनों ताइवान दौरे पर गए थे। चीन ने इस दौरे का विरोध करते हुए कहा था कि यह उसके मामलों में दखलंदाजी है।
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