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विधानसभा का मानसून सत्र 26 जुलाई से:नेता प्रतिपक्ष बोले- शराबबंदी, खाद-बीज की दिक्कत, रेत और सीमेंट के दाम जैसे मुद्दों पर सरकार का जवाब देना होगा मुश्किल

  रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 26 जुलाई से शुरू होगा। सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव चंद्रशेखर ग...

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रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 26 जुलाई से शुरू होगा। सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े ने बताया कि 30 जुलाई तक चलने वाले इस सत्र के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस सत्र में 5 बैठकें होंगी। अब इसे लेकर सियासी तौर पर विपक्ष भी तैयारी कर रहा है। प्रदेश की सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद हो रहे इस सत्र में किन मुद्दों के साथ विपक्ष पहुंचेगी, ये दैनिक भास्कर को बताया नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने...

सदन में होगी अधूरे वादों की गूंज
नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट है। सुसाइड से लेकर हत्या और बलात्कार के मामले बढ़े हैं। बारिश का सीजन है। किसान खाद और बीज के लिए परेशान हैं। सरकर की तरफ से इनके भंडारण की कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही। रेत का अवैध खनन खुले आम होता है। धान सड़ रहा है। सीमेंट और रेत की कीमतें बढ़ रही हैं। इन सभी मुद्दों पर हम सरकार से सवाल करेंगे। उनकी तरफ से हमेशा कोई साफ जवाब ही नहीं मिलता। इस बार भी जवाब देना मुश्किल होगा। कई अधूरे वादे हैं जिनके दम पर कांग्रेस ने चुनाव जीत लिया जनता के इन सभी मुद्दों पर हिसाब मांगा जाएगा।

ये मुद्दे भी मानसून सत्र की गर्मी बढ़ाएंगे
भाजपा लगातार शराबबंदी को लेकर मौजूदा सरकार को घेर रही है। डॉ रमन सिंह ने हाल ही में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हाथ में गंगाजल लेकर गीता लेकर शराबबंदी का वादा किया गया था। मगर अब सरकार इसकी होम डिलीवरी कर रही है। भाजपा ने आधिकारिक आंकड़ों को पेश कर कहा कि छत्तीसगढ़ देखते ही देखते अपराधगढ़ में बदल गया है। रोज यहां औसतन 7 बलात्कार हो रहें। पिछले दो वर्ष में प्रदेश में 1828 हत्या, 1281 हत्या के प्रयास, 4939 बलात्कार, 12862 चोरी, 133 डकैती और 855 लूटपाट के मामले दर्ज किये गए हैं।

किसानों के मुद्दों पर भी विपक्ष पूछेगा सवाल
प्रदेश में धान का रकबा घटाने का मुद्दा भी सदन में उठेगा। भाजपा का आरोप है कि लगातार मनमाने तरीके से कम किया जा रहा है। पिछले ढाई वर्षों में करीब 300 किसानों ने आत्महत्या की है। केवल 10 महीने में 141 किसानों की आत्महत्या की बात तो शासन ने स्वीकारी है, लेकिन किसी को भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया। केंद्र सरकार लगातार समर्थन मूल्य बढ़ा रही है, लेकिन इसका भी लाभ प्रदेश को नहीं दिया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि हम अब इन सभी मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं। सदन में भी इस पर हिसाब मांगा जाएगा।


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