- जिले में 21.6 प्रतिशत से घटकर 17.5 प्रतिशत हुई कुपोषण की दर राजनांदगांव, 04 मार्च 2021. गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं तथा बच्चों में स...
- जिले में 21.6 प्रतिशत से घटकर 17.5 प्रतिशत हुई कुपोषण की दर
राजनांदगांव, 04 मार्च 2021.
गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं तथा बच्चों में सुपोषण के लिए जिले में विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं और इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी अब स्पष्ट दिखने लगे हैं। जिले में कुपोषण की दर 21.6 प्रतिशत से घटकर अब 17.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो अपने आप में सफलता की कहानी बयां कर रही है।
एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना (शहरी) के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कुपोषण की रोकथाम के लिए एनीमिक गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें गर्भावस्था के दौरान संपूर्ण देखभाल की जानकारी भी दी जा रही है। इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा परिवार एवं समुदाय के बीच एनीमिया और कुपोषण की दर में कमी लाने हेतु उपलब्ध विडियो, विभिन्न चार्ट और पोस्टरों के माध्यम से जागरूकता लाने का कार्य लगातार किया जा रहा है। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, “सत्र 2020-21 के शुरूआती महीने में अब तक जिले में 11,917 बच्चों,16,611 माताओं (महतारी) तथा 667 एनीमिक महिलाओं को सुपोषण योजना से लाभान्वित किया जा चुका है। वहीं कुपोषण की दर सत्र 2019-20 की तुलना में यानी 21.6 प्रतिशत से घटकर अब 17.5 प्रतिशत पर आ गई है। इस तरह सुपोषण अभियान एनीमिक गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।“ उन्होंने बताया, “सुपोषण के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत चिन्हित धात्री महिलाओं, शिशुवती माताओं, एनीमिक महिलाओं तथा बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में सप्ताह में तीन दिन अंडा, मूंगफल्ली की चिक्की एवं प्रतिदिन गर्म भोजन दिया गया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने गृह भेंट के दौरान पौष्टिक भोजन के साथ ही आयरन व फालिक एसिड की गोली दी तथा समय से महिला की प्रसव पूर्व जांचों में भी सहयोग किया। नियमित जांच के साथ ही उसकी सतत निगरानी भी की गई।इसके अलावा पोषण पुनर्वास केन्द्र में 14 दिवस लाभ लेने के बाद घर पर बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण पर विशेष ध्यान देने के लिए अभिभावकों की काउंसलिंग स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है। कुपोषित बच्चों को पर्याप्त ऊपरी पौष्टिक आहार, वजन, कृमिनाशक गोली, आयरन सिरप का वितरण एवं बच्चों और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया जाता है, ताकि बच्चों और महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया की दर में कमी आ सके।“
सुपोषण अभियान का ऐसे मिला फायदा
सुपोषण अभियान से लाभान्वित खपरी गांव निवासी राजेश्वरी साहू ने बताया, “गर्भावस्था के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन ने उनका खूब जतन किया और इसी के परिणाम स्वरूप स्वयं तथा शिशु की सेहत में अब पूरी तरह सुधार है। गर्भावस्था के दौरान उन्हें पौष्टिक भोजन के साथ ही आयरन व फालिक एसिड की गोली दी गई तथा समय-समय पर प्रसव पूर्व होने वाली जांच में भी पूरा सहयोग मिला।“ मंजू धीवर ने बताया, “एनीमिया की शिकार गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सुपोषण अभियान किसी वरदान से कम नहीं है। एनीमिया के दुष्पप्रभावों के बारे में असली जानकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन से ही मिली है। उन्होंने विडियो, विभिन्न चार्ट और पोस्टरों के माध्यम से बारीकी से समझाया कि, कुपोषण और एनीमिया किस तरह और कैसे गंभीर होते हैं।“
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