- बाल संरक्षण समितियों को जागरूक करने पर जोर राजनांदगांव, 22 फरवरी 2021. बाल विवाह की रोकथाम तथा बाल संरक्षण के लिए जिले में विभिन्न कार्...
- बाल संरक्षण समितियों को जागरूक करने पर जोर
राजनांदगांव, 22 फरवरी 2021.
बाल विवाह की रोकथाम तथा बाल संरक्षण के लिए जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, साथ ही बाल विवाह को रोकने पर पुरस्कार दिया जाएगा। कुरीतियों के विरुद्ध चलाए जाने वाले इस अभियान में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका तथा मितानिन को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम की सफलता के लिए कलेक्टर ने विभागीय अधिकारियों को विभिन्न दिशा-निर्देश दिए हैं।
राजनांदगांव कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा की अध्यक्षता में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित एकीकृत बाल संरक्षण योजनांतर्गत गठित जिला बाल संरक्षण समिति , जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी एवं जिला स्तरीय टॉस्क फोर्स की बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें कई निर्णय लिए गए । बैठक में लिए गए निर्णय के तहत बाल विवाह जैसी कुरीति की रोकथाम के लिए वार्ड एवं पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों को जागरूक किया जाएगा। सर्व समाज प्रमुखों की बैठक लेकर बाल विवाह नहीं होने देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसी तरह ग्राम पंचायतों की बाल संरक्षण समितियों द्वारा बाल विवाह रोकने पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। जिले में भिक्षावृत्ति रोकने पर भी गंभीरता से कार्य करने की तैयारी की जा रही है। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा निजी चिकित्सालयों में क्रेडल बेबी रिसेप्शन केन्द्र स्थापित किया जाएगा।
बाल विवाह की रोकथाम तथा बाल संरक्षण से संबंधित प्रयासों के विषय में जिला बाल संरक्षण अधिकारी चंद्रकिशोर लाड़े ने बताया, पंचायत एवं वार्ड स्तरीय बाल संरक्षण समितियों को प्रशिक्षण दिए जाने के लिए संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है। कालेजों में अध्ययनरत एन.एस.एस. एवं एन.सी.सी. छात्रों को प्रशिक्षित कर पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा । प्रशिक्षण की मानिटरिंग परियोजना अधिकारियों तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत के माध्यम से किया जाएगा।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, एकीकृत बाल संरक्षण योजना के तहत जिले में विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। बाल विवाह जैसी कुरीतियों की रोकथाम तथा बाल संरक्षण के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। विधि से संघर्षरत, देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक तथा बालिकाओं के लिए अलग-अलग गृह संचालित हैं, जिसकी विभाग द्वारा नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जा रही है। राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय निरीक्षण दल महिला सदस्यों को शामिल करते हुए त्रैमासिक निरीक्षण किया जा रहा है। सभी गृहों में सुरक्षात्मक व्यवस्था के लिए पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरा एवं सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं। किशोर न्याय अधिनियम 2015 एवं नियम 2016 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन कराते हुए गृहों का संचालन किया जा रहा है।
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