दिल्ली। कोरोना संक्रमण से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सरकार के सामने भारी चुनौती है. इसलिए सरकार बजट 2021 में खर्च के प्रावधा...
दिल्ली। कोरोना संक्रमण से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सरकार के सामने भारी चुनौती है. इसलिए सरकार बजट 2021 में खर्च के प्रावधान को बढ़ाना चाहती है. इसी बीच खबर आई है कि सरकार इस बार के बजट में बजट प्रावधानों को 12 से 14 फीसदी के बीच बढ़ाना चाहती है.
सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार वित्त वर्ष 2021-22 में बजट प्रावधानों को 12 से 14 फीसदी बढ़ाना चाहती है. सरकार का इरादा हेल्थ, इन्फ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन सेक्टर में बजट आवंटन बढ़ाने का है.
सूत्रों का कहना है कि बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान थोड़ा बढ़ाया जा सकता है कि ताकि सरकार की ओर से खर्च के प्रावधानों का दायरा और बढ़ाया जा सके. बजट में केंद्र समर्थित उन स्कीमों को खत्म कर दिया जा सकता या उनमें सुधार किया जा सकता है जिनकी उपयोगिता खत्म हो चुकी है. इन योजनाओं के बदले सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने वाली कुछ स्कीमों को शुरू किया जा सकता है. चालू वित्त वर्ष में सरकार के खर्च का बजट 30.42 लाख करोड़ रुपये का है. लेकिन कोविड की वजह से खर्च बढ़ाने की जरूरत के बावजूद इसमें ज्यादा बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है.
सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 फीसदी निर्धारित किया है. यह वित्त वर्ष 2021-22 में 6.5 से 7.1 फीसदी तक जा सकता है. इसलिए वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 35 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है. बजट तैयारियों से जुड़े एक अधिकारी ने कहा के सरकार का खर्च करना है शाहखर्ची नहीं. सरकार की ओर से इस तरह खर्च किया जा सके ताकि लक्ष्य के मुताबिक नतीजे हासिल किए जा सकें.
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